जयपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने 23 फरवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र के मद्देनजर सरकार से थोथी घोषणाओं से परहेज कर वास्तविक व जनहित की नीतियों को मूर्तरूप देने की मांग की है। पायलट ने कहा कि गत तीन वर्षों में भाजपा सरकार ने बजट में जितनी भी घोषणाएं की थी उन्हें पूरा करने में सरकार विफल रही है। उन्होंने कहा कि यह बड़ा दुर्भाग्य है कि किसानों को उसकी बर्बाद फसल का उचित मुआवजा दिलवाने में सरकार पूरी तरह से नाकाम रही है। लाखों किसान मुआवजा नहीं मिलने से आर्थिक रूप से पूरी तरह से टूट गए है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में औद्योगिक व घरेलू विद्युत दरों के बढऩे से आम उपभोक्ता पर जो भार बढ़ा है उसके कारण स्टील जैसे फलते-फूलते उद्योग से जुड़े लोग प्रदेश के बाहर संभावनाएं तलाशने के लिए मजबूर हो गए है जो बताता है कि सरकार बाहर के उद्योगपतियों व निवेशकों को क्या आकर्षित करेगी जब घरेलू उद्योगपति ही प्रदेश में व्याप्त भय के वातावरण व सरकारी अनेदखी से पलायन के लिए मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से उपजी स्थितियों के कारण प्रदेश में उत्पादन इकाइयां ठप्प हो गयी है।
ऐसे में सरकार को आगामी बजट में राज्य के करों में कटौती कर जनता को राहत देनी चाहिए। पायलट ने कहा कि सरकार का आम जनता के प्रति जो संवेदनहीन रवैया है वैसा ही व्यवहार प्रशासन में देखने को मिल रहा है जिसका खामियाजा अपराधों के बढऩे के कारण महिलाओं, गरीबों व दलितों को उत्पीडऩा के तौर पर सहन करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि गत वर्ष के बजट में सरकार ने मुफ्त दवा योजना में एक चौथाई कटौती कर दी थी जिस वजह से लोगों के स्वास्थ्य के साथ समझौता हो रहा है।
केन्द्र से पैसा लाने में विफल
पायलट ने कहा कि केन्द्र पोषित योजनाओं का पूरा पैसा लाने में भी प्रदेश की भाजपा सरकार पूरी तरह से विफल रही है जिसकी वजह से अधिकांश योजनाएं ठप्प पड़ी है। उन्होंने कहा कि इस बजट के बाद भाजपा सरकार को आगामी चुनावी वर्ष में ही बजट पेश करने का अवसर मिलेगा जिसके लोक-लुभावन होने के कारण जनता को लाभ मिलने की संभावना कम है। इसलिए आवश्यक है कि वर्ष 2017-18 के बजट को सरकार जनता की भावनाओं के अनुरूप बनाकर पूरी तरह से निराश प्रदेश की जनता को राहत प्रदान करें।
रिसर्जेन्ट राजस्थान जैसे नहीं हों दावे
पायलट ने कहा कि सरकार द्वारा निवेश आमंत्रित करने के लिए करोडो रूपए खर्च कर रिसर्जेन्ट राजस्थान जैसा आयोजन भी किया और इसके अलावा देश व विदेश में रोड शो भी किए गए। लेकिन निवेशकों को आकर्षित करने में सरकार पूरी तरह से विफल रही है। उन्होंने कहा कि जितने बड़े दावे किए गए थे, उसका एक प्रतिशत भी निवेश का नहीं आया है।