शनि देव को परमात्मा ने सभी लोकों का न्यायाधीश बनाया है। शनिदेव त्रिदेव और ब्रह्मांड निवासियों में बिना किसी भेद के उनके किए कर्मों की सजा उन्हें देते हैं। जब किसी व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव पड़ता है तो वह पाठ-पूजा और तंत्र-मंत्र के माध्यम से शनिदेव को खुश करने में जुट जाता है।
शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। मनुष्य द्वारा किए गए पापों का दंड शनि देव ही देते हैं। शनि देव की आराधना करने से गृह क्लेश समाप्त हो जाता है तथा घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इनकी उपासना से कार्यों में आने वाली दिक्कतें खत्म हो जाती हैं। वहीं शनिदेव की उपासना कुछ खास मंत्रों से की जाए तो वे जल्दी प्रसन्न होते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने के कुछ खास मंत्र इस प्रकार हैं.....
शनि देव का तांत्रिक मंत्र :-
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।
शनि देव के वैदिक मंत्र
ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।
शनि देव का एकाक्षरी मंत्र :-
ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।
शनि देव का गायत्री मंत्र
ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।।
भगवान शनिदेव के अन्य मंत्र :-
ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।
ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ मन्दाय नमः।।
ऊँ सूर्य पुत्राय नमः।।
साढ़ेसाती से बचने के मंत्र :-
1- ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।।
2- ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः।
3- ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।
क्षमा के लिए शनि मंत्र :-
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दुरू खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगतारू सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए शनि मंत्र :-
ध्वजिनी धामिनी चौव कंकाली कलहप्रिहा।
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।