नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के पीडि़तों के लिए त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए विशेष जांच दल एसआईटी के गठन सहित विभिन्न राहतों की मांग को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर आज केंद्र सरकार को नोटिस दिया।
प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी करें। प्रतिवादी संख्या एक केंद्र और दो की तरफ से पहले ही शपथपत्र दायर किया जा चुका है... प्रत्युत्तर शपथपत्र , अगर कोई हो तो , उसे इसके बाद चार हफ्ते के भीतर जमा किया जाए।’’
पीठ ने याचिकाकर्ता एस गुरलाद सिंह कहलोन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दतार से प्रतियुत्तर शपथपथ दायर करने को कहा और मामले में अंतिम सुनवाई तय कर दी।
दिल्ली गुरूद्वारा प्रबंधक समिति के सदस्य कहलोन ने दंगा पीडि़तों के लिए त्वरित न्याय सुनिश्चित करने की खातिर एसआईटी के गठन को लेकर अदालत से निर्देश देने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार द्वारा नये सिरे से जांच के लिए 12 फरवरी, 2015 को एसआईटी का गठन किया गया था और उसे एक साल का विस्तार दिया गया। लेकिन मामलों को लेकर मुकदमा चलाने में अत्यधिक देरी हुई तथा और देरी से सुनवाई पर प्रतिकूल असर होगा।
गृह मंत्रालय ने सिख विरोधी दंगे के मामलों की दोबारा जांच के लिए एक तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की थी जिसे दंगे से जुड़े सभी गंभीर आपराधिक मामलों की जांच करनी थी, सबूतों की जांच करनी थी, यहां तक की मामले दोबारा खोलने थे और संबंधित अदालतों मेें आरोपपत्र दायर करना थी।