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हाल ही में ईरान पर हुए इजराइली हमले ने पूरी दुनिया को चौंका दिया। लेकिन इस सैन्य कार्रवाई का असली चेहरा इजराइली लड़ाकू विमान नहीं, बल्कि खुफिया एजेंसी मोसाद थी। सूत्रों के मुताबिक, यह ऑपरेशन कोई अचानक उठाया गया कदम नहीं था, बल्कि इसका खाका दो साल पहले ही तैयार किया गया था। इस सीक्रेट मिशन का नाम था — "ऑपरेशन लॉयन राइजिंग", जिसे मोसाद ने बेहद गोपनीयता से अंजाम दिया।
मिशन का मकसद था ईरान की सैन्य रीढ़ को तोड़ना
इस ऑपरेशन का उद्देश्य था —
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह नष्ट करना
एयर डिफेंस नेटवर्क को ठप करना
ईरानी सेना के शीर्ष नेतृत्व को खत्म करना
इजराइली वायुसेना ने जब हमला शुरू किया, तब तक मोसाद ने ईरान के डिफेंस सिस्टम में अपने एजेंट्स के जरिए डिवाइस और मैलवेयर फिट कर दिए थे, जिससे ईरान की सुरक्षा प्रणाली पूरी तरह जाम हो गई।
तीन चरणों में चला मोसाद का खुफिया मिशन
रिपोर्ट्स के अनुसार, मोसाद ने ईरान में तीन प्रमुख कोवर्ट ऑपरेशन चलाए:
डिफेंस नेटवर्क को फेल करना
सर्फेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम को निष्क्रिय करना
बैलिस्टिक मिसाइलों को निशाना बनाकर पूरी तरह नष्ट करना
जैसे ही इजराइली फाइटर जेट्स ने हमला किया, ईरान का एयर डिफेंस सिस्टम कुछ भी नहीं कर सका। मिसाइलें न तो लॉन्च हो सकीं और न ही प्रतिक्रिया दे सकीं। कई मिसाइलें डमी में तब्दील हो गईं।
टॉप कमांडरों और वैज्ञानिकों पर सटीक हमला
मोसाद ने सिर्फ तकनीकी सिस्टम को ही नहीं, मानव संसाधन नेटवर्क को भी तबाह किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हमले में ईरान के 20 शीर्ष सैन्य कमांडर और 6 परमाणु वैज्ञानिकों की मौत हो गई। इनमें शामिल हैं:
IRGC प्रमुख हुसैन सलामी
थलसेना प्रमुख मोहम्मद बाघेरी
वायुसेना प्रमुख आमिर अली हाज़ीज़ादेह
नौसेना प्रमुख
पूर्व परमाणु ऊर्जा संगठन प्रमुख डॉ. फेरेदौन अब्बासी
प्रमुख वैज्ञानिक मोहम्मद मेहदी तेहरांची
हमले की सटीकता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि ड्रोन हमलों में कई कमांडरों को उनके घरों में ही मार गिराया गया। एक वीडियो में दिखा कि एक अपार्टमेंट की सिर्फ एक दीवार ढही, जबकि बाकी इमारत जस की तस रही।
नेतन्याहू की चेतावनी को हल्के में ले गया ईरान
ऑपरेशन से ठीक एक दिन पहले इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने यहूदी धार्मिक स्थल वेलिंग वॉल पर प्रार्थना की थी। इसे विशेषज्ञों ने एक संकेत माना था कि कुछ बड़ा होने वाला है। मगर ईरान इसे समझ नहीं पाया।
जवाब देने में क्यों असफल रहा ईरान?
हालांकि ईरान अब इजराइल को जवाबी हमले की धमकी दे रहा है। IRGC ने एक एनिमेटेड वीडियो जारी कर इजराइल को खंडहर में बदलने की चेतावनी दी है। लेकिन सच्चाई यह है कि जब असली हमला हुआ, तब ईरान बिलकुल भी प्रतिक्रिया नहीं दे सका।
मोसाद ने न केवल ईरान के डिफेंस सिस्टम को ठप किया, बल्कि उसकी जवाबी क्षमता को भी निष्क्रिय कर दिया। यही वजह है कि ईरान चाहकर भी कोई ठोस जवाब नहीं दे पाया।
इस ऑपरेशन ने एक बार फिर दुनिया को दिखा दिया कि मोसाद केवल एक खुफिया एजेंसी नहीं, बल्कि रणनीतिक युद्ध और साइबर वॉरफेयर का भी मास्टरमाइंड है। "ऑपरेशन लॉयन राइजिंग" ने यह साबित कर दिया कि आधुनिक युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि सूचना, प्लानिंग और तकनीक की सटीकता से लड़े जाते हैं।