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इंटरनेट डेस्क। अंतरिम सरकार के प्रमुख और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस की इस्तीफे की धमकी के बाद बांग्लादेश में हलचल तेज हो गई है। मुहम्मद यूनुस के राजनीतिक दलों के बीच चुनावी सुधारों पर सहमति नहीं बनने की स्थिति में अपना पद छोडऩे की बात करने पर बांग्लादेश की राजनीति में एक बार फिर से उथल-पुथल के संकेत मिल रहे हैं। इसी बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना की उनके देश में वापसी की अटकलें भी तेज हो गई हैं।
पिछले साल अगस्त शेख हसीना की 15 साल पुरानी सरकार को छात्र आंदोलनों के बाद सत्ता गंवानी पड़ी थी। विरोधी छात्रों का सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली के खिलाफ आंदोलन हिंसक टकराव में बदल गया। इसके कारण यहां पर बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
वहीं पीएम शेख हसीना को बांग्लादेश छोडक़र भारत में शरण लेनी पड़ी थी। इसके बाद सेना की ओर से अंतरिम सरकार का गठन कर यूनुस को मुख्य सलाहकार बनाया गया था। अब लगभग एक साल बाद, यूनुस की सरकार को भी यहां पर असहयोग, दबाव और विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
बिना सुधारों के चुनाव कराने का कोई मतलब नहीं: नाहिद इस्लाम
नेशनल सिटीजन पार्टी के नेता नाहिद इस्लाम ने इस संबंध में बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सर परेशान और निराश दिखे। अगर राजनीतिक समर्थन नहीं मिला तो वह काम नहीं कर पाएंगे। नेशनल सिटीजन पार्टी के नेता नाहिद इस्लाम ने इस दौरान ये भी बोली दिया कि लोगों ने केवल सरकार बदलने के लिए नहीं, व्यवस्था बदलने के लिए आंदोलन किया था। बिना सुधारों के चुनाव कराने का कोई मतलब नहीं।
PC: businesstoday
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