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संपत्ति के अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है। भारत के कानूनों के अनुसार, बेटों और बेटियों के संपत्ति पर समान अधिकार हैं। इस लेख में हम संपत्ति विवादों, वसीयत, और उत्तराधिकार से जुड़े सवालों के कानूनी समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं।
बेटियों के अधिकार पिता की संपत्ति पर
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स्वअर्जित संपत्ति:
- पिता अपनी स्वअर्जित संपत्ति पर अधिकार रखते हैं।
- यदि उन्होंने इसे बेटों के नाम कर दिया है, तो बेटियां उस पर दावा नहीं कर सकतीं।
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पैतृक संपत्ति:
- पिता की मृत्यु बिना वसीयत के होने पर बेटियों को उतना ही हक मिलता है जितना बेटों को।
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत यह लागू होता है।
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वसीयत को चुनौती देना:
- बेटियां वसीयत को चुनौती दे सकती हैं यदि इसमें धोखाधड़ी या अनियमितता साबित हो।
बिना वसीयत के प्रॉपर्टी का बंटवारा
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार, बिना वसीयत के मृत्यु होने पर संपत्ति क्लास 1 उत्तराधिकारियों में समान रूप से बांटी जाती है।
- क्लास 1 उत्तराधिकारी: पत्नी, बेटे, बेटियां और मृतक की मां।
डीमैट अकाउंट और संपत्ति हस्तांतरण
- जॉइंट डीमैट अकाउंट में पहला होल्डर की मृत्यु पर अधिकार दूसरे होल्डर को ट्रांसफर हो जाएगा।
- आवश्यक दस्तावेज: टी-2 फॉर्म, नोटराइज्ड डेथ सर्टिफिकेट, और सक्सेशन सर्टिफिकेट।
वसीयत और भविष्य की संपत्ति
- वसीयत में भविष्य की संपत्ति को शामिल किया जा सकता है।
- कानूनी उत्तराधिकारी को वंचित करने के लिए वसीयत में कारण स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए।
DISCLAMER: इस न्यूज़ को इस https://pmsmahavidyalayaadmission.in/father-property-rights-daughter-claims/ वेबसाइट से लेके एडिट किया गया है।