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इंटरनेट डेस्क। अस्थमा की बीमारी आमतौर पर बड़ों के साथ बच्चों में भी देखी जा रही है। अस्थमा सांस लेने में मुश्किल पैदा करता है और खांसी सांसों को रोकती है। इस स्थिति को काबू किया जा सकता है। प्रभावी तरीके से लक्षणों और संकेतों को प्रबंधन करने के लिए डॉक्टर की संपर्क में रहा जाए तो इससे छुटकारा पाया जा सकता है। अस्थमा सीने में जकड़न की वजह भी बनता और सांस लेने में मुश्किल, खांसी और खरखराहट के चलते सोना मुश्किल हो जाता है।
जानकारों का कहना है कि भारत में अस्थमा के मामले 37.9 मिलियन हैं। सांस संबंधी बीमारियां और एलर्जी विश्व स्तर पर में बच्चों और व्यस्कों दोनों में बढ़ रही हैं। अस्थमा के मामले और एलर्जिक राइनाइटिस सभी उम्र के ग्रुप में बढ़ोतरी हुई है। प्रदूषण, धूल, एलर्जी, जीवनशैली में बदलाव, मौसमी बदलाव समेत इसके कई कारण हो सकते हैं। मोटापा अस्थमा का दूसरा खतरा है और ये आम तौर से जीवनशैली में तब्दीली और खानपान की आदतों से होता है।
हमेशा ये सावधानी बरतें
1. सफर करते वक्त अपना इन्हेलर हमेशा अपने पास रखें
2. इन्हेलर डॉक्टर की सलाह के बाद लेना चाहिए
3. डॉक्टर से बराबर संपर्क में रहने की कोशिश करें
4. घर को साफ और धूल मुक्त रखने का प्रयास हो
5. योग, स्वस्थ भोजन, व्यायाम और बेहतर नींद को अपनाएं
हमेशा इनसे बचें
1. डॉक्टर की सलाह के बिना आप अपना इन्हेलर बंद न करें
2. व्यायाम को जारी रखें लेकिन रोग खराब होने डॉक्टरी सलाह लें
3. भूख से ज्यादा न खाएं और अपना वजन को काबू में रखें