प्राचीन कथाओं में राजा मोरध्वज का जिक्र मिलता है, कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने मोरध्वज से उसके ही पुत्र का मांस मांगा था। आइए आपको बताते हैं कौन थे राजा मोरध्वज और क्यूं मांगा भगवान कृष्ण ने मोरध्वज से उसके बेटे का मांस.....
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पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत का युद्ध खत्म होने के बाद भगवान कृष्ण ने अर्जुन से शर्त लगाई की उनका अर्जुन से भी बड़ा कोई भक्त है। अर्जुन इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं थे। अर्जुन को विश्वास दिलाने के लिए कृष्ण ने ऋषि का वेश बनाया और अर्जुन को साथ लेकर मोरध्वज के पास पहुंचे। मोरध्वज के पास पहुंचते ही कृष्ण ने कहा, मेरा शेर भूखा है और वह मनुष्य का ही मांस खाता है। कृष्ण की यह बात सुनते ही राजा अपना मांस देने को तैयार हो गए।
राजा को अपना मांस देने के लिए तैयार होता देख कृष्ण ने एक शर्त रख दी की शेर को बच्चे का मांस चाहिए। राजा ने तुरंत अपने बेटे का मांस देने की तैयारी की। यहां भी कृष्ण ने एक शर्त रख दी उन्होंने कहा, आप दोनों पति-पत्नी अपने पुत्र का सिर काटकर मांस खिलाओ, मगर इस बीच आपके आंसू नहीं आने चाहिए।
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राजा और रानी कृष्ण की इस बात पर राजी हो गए और अपने बेटे का सिर काटकर शेर के सामने रख दिया। एक ऋषि के प्रति उनकी ऋद्धा देखकर भगवान श्री कृष्ण ने अपने असली रुप में आकर उन्हें आशीर्वाद दिया औऱ उनके बेटे को दुबारा जिंदा किया। भगवान ने अर्जुन के सामने सिद्ध कर दिया की मोरध्वज ही उनका सबसे बड़ा भक्त है।
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