कोच्चि। सेवानिवृत्त सैनिकों तक पहुंच कायम करने की कोशिश में केन्द्र सरकार ने आज पूर्व सैनिकों को आश्वस्त किया कि वह ‘वन रैंक वन पेंशन’ और सातवें वेतन आयोग में ‘विसंगतियों को दूर करने’ के लिए सभी कदम उठा रही है।
रक्षा राज्य मंत्री सुभाषा भामरे ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर पूर्व सैनिकों के मुद्दे को लेकर ‘बहुत संवेदनशील’ हैं और वह ओआरओपी योजना को ‘प्रभावी तरीके से लागू करने केे लिए व्यक्तिगत रूप से देख रहे हैं।
उन्होंने कहा, ओआरओपी पूर्व सैनिकों के लिए एक चिंता का मुद्दा है। ओआरओपी के बारे पूर्व सैनिकों से अभ्यावेदन प्राप्त किए जा रहे हैं। वह अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद’ के केरल राज्य सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि करीब एक लाख रक्षा पेंशनभोगी पेंशन पाने वाले परिवारों को अभी तक ओआरओपी का लाभ नहीं मिल पा रहा था। ऐसा ऐसी सूचनाओं के अनुपलब्ध रहने जो रिकॉर्ड की गैर अद्यतन या पेंशन पाने वाले परिवार के जन्मतिथि की अनुपलब्धता के वजह से हो रहा था।
उन्होंने कहा, प्राथमिकता के आधार पर वंचित रह गए पेंशनभोगियों के लिए भुगतान के वास्ते सरकार शीघ्र कदम उठा रही है। मंत्री ने असैनिक कैडर के समकक्ष सैन्य रैंकों को घटा दिए जाने के बारे में मीडिया में आई खबरों को भी खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा, क्या कोई ग्रेड में कमी की गई है? जवाब नहीं में है। भामरे ने कहा कि 18 अक्तूबर को रक्षा मंत्री ने एक नागरिक कैडर से अधिकारियों की तुल्यता के बारे में एक पत्र लिखा था जिसे आम्र्ड फोर्सेस हेडक्वार्टस सिविल सर्विस एएफएचक्यूसीएस के रूप में जाना जाता है।
उन्होंने कहा, पत्र में कर्तव्यों और कार्यात्मक जिम्मेदारियों के आधार पर संयुक्त निदेशक, निदेशक और एएफएचक्यू के प्रधान सचिव की मौजूदा तुल्यता को क्रमश कर्नल, ब्रिगेडियर और मेजर जनरल के बराबर दोहराई गई है।
मंत्री ने कहा, यह तुल्यता नहीं है और 1991, 1992, 2000, 2004 और 2005 में कई मौकों पर इसे स्पष्ट किया गया है। इसके बावजूद कथित ग्रेड में कमी की एक शिकायत तथ्यों का गलत निरूपण है।
सर्विस रैंक, पदनाम और चैनलों पर पूर्व में की गई रिपोर्टिंग के बारे में उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ दिनों से सरकार के एक प्रयास की एक नाकारात्मक छवि पेश की जा रही है। मंत्री ने कहा, सरकार सशस्त्र बलों और उनकी जरूरतों को लेकर बहुत अधिक संवेदनशील है।